पौष मास की पूर्णिमा से आरंभ होकर माघ पूर्णिमा तक होने वाले इस धार्मिक स्नान का सनातन धर्म में खास महत्व है। पूरे साल के पूर्णिमा स्नान में माघ पूर्णिमा स्नान को सबसे उत्तम बताया गया है। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिषाचार्य पं गणेश मिश्रा के अनुसार सत्ताइस नक्षत्रों में माघ नक्षत्र के नाम से माघ पूर्णिमा की उत्पत्ति हुई थी। इस तिथि का धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से विशेष महत्व है। इस बार माघ मास की पूर्णिमा 9 फरवरी, रविवार को है।
ब्रह्मवैवर्त पुराण में माघ पूर्णिमा
- माघी पूर्णिमा पर स्नान और दान का खास महत्व है। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार माघ पूर्णिमा पर स्वयं भगवान विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं। इस दिन जो भी श्रद्धालु गंगा स्नान करते हैं। उसके बाद जप और दान करते हैं उन्हें सांसारिक बंधनों से मुक्ति मिलती है। ग्रंथों में इस महीने को भगवान भास्कर और श्रीहरि विष्णु का माह बताया गया है।
- पंडित मिश्रा के अनुसार अगर पूरे महीने में स्नान न कर सकें हैं तो माघ पूर्णिमा पर स्नान जरूर करना चाहिए। इससे भगवान श्रीकृष्ण की कृपा बनी रहती है। रविवार को श्रद्धालु सूर्योदय के साथ ही तीर्थ स्थानों पर नदियों में स्नान करेंगे।
स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य
- ज्योतिषाचार्य मिश्रा ने बताया कि पूर्णिमा तिथि 8 फरवरी को शाम करीब 4 बजे से प्रारंभ होगी और रविवार को दोपहर 1 बजे तक रहेगी। इस मुहूर्त में गंगा स्नान कर पुण्य प्राप्त किया जा सकता है। जो गंगा तीर्थ नहीं जा सकते वो घर पर ही पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर नहा सकते हैं।
- इस पर्व पर स्नान के बाद ऊं घृणि सूर्याय नम: मंत्र बोलते हुए भगवान सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। पं मिश्रा के अनुसार इस दिन गंगा स्नान और गोदान, तिल, गुड़ व कंबल का विशेष महत्व है।